कुछ विशेष प्रकार के पौधें
क्रोटन- इस पौधे की बुआई फसलों के साथ की जाती है क्योंकि क्रोटन पौधा यह बताने में सक्षम होता है की फसल में पानी की आवश्यकता है या नहीं।इस पौधे की जड़े जमीन में अधिक गराई तक नहीं पहुँचती है। खेत में पानी की मात्रा की कमी होने पर यह मुरझाने लगता है इससे यह पता चलजाता है कि फसल को सिंचाई की आवश्यकता है।
बरगद-बरगद एक विशालकाय वृक्ष होता है। इसकी शाखाओं से जड़े निकलती है यह जड़े स्तम्भ का कार्य करती है। इन जड़ों को स्तम्भ जड़े भी कहा जाता है।
खेजड़ी- खेजड़ी एक ऐसा वृक्ष है जिसको अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। खेजड़ी की खेती मुख्यतः भारत के रेगिस्तान क्षेत्रों में की जाती है । यह एक छायादार वृक्ष होता है , खेजड़ी के उपयोग इनमे आने वाली फलियों का प्रयोग शब्जी के रूप तथा (खेजड़ी की छाल किस काम आती है) छाल को दवाओं के रूप प्रयोग किया जाता है।
रेगिस्तानी ओक-यह वृक्ष मुख्यतः ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी जड़े गहरी होने से यह पानी में स्थित रहता है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोग पाइप की सहायता से पानी को रेगिस्तानी ओक वृक्ष से बाहर निकलते है।
केला- केला का पौधा आकार छोटा तथा हरे रंग के तने का होता है। जो अत्यधिक कोमल होता है। इसके फूल और फल दोनों खाये जाते है।
घटपर्णी- अगर बात करे कि कीटभक्षी पौधे क्या है तो घटपर्णी कीड़ो, मकोड़ो, चूहों, मेढकों तथा अन्य छोटे जीवों को खाने वाला एक कीट भक्षी पौधा होता है। इसका आकर अथवा बनावट घड़े के समान होती है। इसके द्वारा निकाली गयी खुसबू से कीड़े मकौड़े आकर्षित होकर इसके अन्दर चले जाते है , जिनको पचा कर यह भूमि में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करता है।
घटपर्णी पौधा कहां पाया जाता है यह पौधा भारत के मेघालय तथा इण्डोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है।
कीटभक्षी पौधों के उदाहरण- पिचर प्लांट , ड्रोसेरा, डायोनिमा , सेरोसेनिया , यूट्रीकुलेरिया
कीटभक्षी पौधे कीटों का भक्षण क्यों करते हैं- कीटभक्षी पौधे कीटो का भक्षण भूमि में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिये करते है।
कीटभक्षी पौधे क्या है- कीड़ो आदि का भक्षण करने वाले पौधों को कीटभक्षी पौधे कहते है।
कीटभक्षी पादप के उदाहरण लिखिए- कीटभक्षी पादप के उदाहरण ड्रोसेरा, नेपंथीज, यूट्रीकुलेरिया , पिचर प्लांट
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