दशरथ मांझी की प्रेरणदायक कहानी
पूरे पहाड़ को काटकर एक रास्ता बना देने वाले बुलंद हौशले कहानी
दोस्तों यह motivational story उस इंसान की है जिसने अपने बुलंद हौसले ओर दृढ़ संकल्प के कारण असंभव काम को संभव कर दिखाया। यह कहानी भारत के माउंटेन मैन कहे जाने वाले दशरथ मांझी की है जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों की बदौलत महज एक छेनी और हथौड़ी से पूरे पहाड़ को काटकर एक रास्ता बना दिया।
दोस्तों दशरथ मांझी एक ऐसा व्यक्तित्व है जिससे हमारे देश के करोड़ों युवाओं को प्रेरणा मिलती है.दशरथ मांझी जिस गांव में रहते थे वहां से पास के कस्बे में जाने के लिए एक पूरे पहाड़ को पार करना पड़ता था तथा उस पहाड़ के पूरे चक्कर लगाने के बाद ही दूसरे तरफ पहुंचा जा सकता था.
दशरथ मांझी के गांव लोगो की छोटी सी भी जरूरत इस पहाड़ को पार करने के बाद ही पूरी होती थी।एक दिन जब दशरथ मांझी पहाड़ी इलाके में अपना काम कर रहे थे और हर दिन की तरह उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी उस दिन भी उन्हें जब दोपहर का खाना देने जा रही थी तब दुर्भाग्यवश अचानक पैर फिशलने के कारण वह एक पहाड़ी दर्रे मैं जा गिरती हैं और तत्काल इलाज न मिलने के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।
फाल्गुनी देवी की मौत का सबसे बड़ा कारण वह पहाड़ था जो दशरथ मांझी के गांव और शहर के बीच दीवार बनकर खड़ा था। इसी पहाड़ के कारण फाल्गुनी देवी को अस्पताल ले जाने में ज्यादा समय लग गया और उनकी मृत्यु हो गई क्योंकि गांव से शहर के जाने के लिए पूरे पहाड़ के चक्कर लगाने पड़ते थे।अपनी पत्नी की मृत्यु ने दशरथ मांझी को पूरी तरह झकझोर के रख दिया ओर वह सोच में पड़ गए हैं कि कैसे एक पहाड़ के बाधा बनने के कारण वह अपनी पत्नी को नहीं बचा सके।
अपनी पत्नी की मृत्यु से जुड़ी इस दुखद घटना के बाद दशरथ मांझी ने एक फैसला लिया और इसी फैसले के कारण दूनीया भर के लोगों आज उन्हेंमाउंटेन मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं. माझी ने अपने बुलंद इरादों से यह फैसला लिया कि वे उस पहाड़ को ही काट डालेंगे जिसके रास्ता रोकने के कारण उनकी पत्नी की दर्दनाक मौत हो गई थी.
इसके बाद अपने बुलंद हौसलों और इरादों का परिचय देते हुए दशरथ मांझी अपनी छोटी सी छेनी और हथौड़ी से उस विशालकाय पहाड़ को तोड़ने में लग गए। जब गांव वालों ने पहली बार उन्हें मात्र एक छेनी और हथौड़ी से पहाड़ को तोड़ते हुए देखा तो लोग उन पर हंसने लगे और उनका मजाक उड़ाने लगे कईयो ने तो उन्हें पागल भी कहना शुरू कर दिया था. लोग कहते हैं कि ये अपने बीवी के मौत के सदमे से पागल हो गया है जो इतनी छोटी सी छेनी और हथौड़ी से विशालकाय पहाड़ को तोड़ने में लगा हैं.इन सबके बावजूद दशरथ मांझी अपने काम में जुटे रहे ।
इसी तरह दिन बीतते चले गए ,कई महीने गुजर,कई मौसम आए और चले गए अब तो साल भी बितने लगे थे क्या गर्मी, क्या बरसात और क्या ठंड इन सब की न परवाह करते हुए दशरथ मांझी सिर्फ अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम करते रहें। उनका बस एक ही लक्ष्य था उस पहाड़ को काटकर रास्ता बना देना ताकि जो उनके साथ हुआ वह फिर किसी और गांव सदस्य के साथ ना हो।
अपने दृढ़ संकल्प और बुलंद इरादों का परिचय देते हुए लगातार 22 साल की कठिन परिश्रम और मेहनत के बाद पहाड़ में 360 फुट लंबा, 25 फीट गहरा 30 फीट चौड़ा रास्ता dashrath manjhi road बनाने में कामयाब हुए.
दशरथ मांझी द्वारा (dashrath manjhi road) बनाए गए इस रास्ते के कारण गया के अन्नी से वजीरगंज दूरी मात्र 15 किलोमीटर रह गई जो पहले पहाड़ को चक्कर लगाकर जाने के बाद 80 किलोमीटर की दूरी पड़ती थी वह मात्र 3 किलोमीटर की ही रह गई. दशरथ मांझी के इस फैसले का पहले तो मजाक उड़ाया गया पर उनके इस प्रयास ने जालौर के लोगों के जीवन को सरल बना दिया.
दशरथ मांझी जी का जीवन उन लाखों छात्रों के लिए मिसाल है जो आज के इस कठिन दौर में सरकारी नौकरी की चेष्टा करते हैं.जिस प्रकार दशरथ माझी को पहाड़ काटने में 22 साल लग गए फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और बिना निराश वे अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ कड़ी मेहनत की अंत में सफलता प्राप्त की, ठीक उसी प्रकार युवा कभी हार न माने और निराश ना हो हो सकता है आपको भी समय लगे पर आपको भी सफलता जरूर मिलेगी और वह एक शानदार पल होगा।
☆ प्रारंभिक बाल्यावस्था का अर्थ जन्म से 6 वर्ष तक के शुरुआती जीवन से हैं | इन वर्षों को निर्माण के वर्ष कहते हैं क्योंकि इन्हीं बर्षों में शारीरिक,मानसिक,सामाजिक,संवेगात्मक और भाषा के विकास की नीव परती हैं ☆ तंत्रिका विकास के क्षेत्र में हुए अनुसंधान ने इन वर्षों के महत्व को इस रूप में माना हैं कि इन वर्ष में मस्तिष्क का विकास बहुत त्रिव गति से होता है ☆ प्रारंभिक वर्ष में लालन पालन उद्दीप्त करने वाली परिवेश और सीखने के अनुकूलतम अवसर छोटे बच्चों के जीवन पर दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं ☆ इन निर्माण वर्षो में सभी बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस दे भाल और शिक्षा [ECCE] की सुनिश्चितता द्वारा ऐसा किया जा सकता है ☆ किसी भी प्रकार का वचन बच्चों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है अतः BCCE के अर्थ और महत्व को समझना अनिवार्य हो जाता है अर्थ और महत्व ☆ BCCE शब्द तीन मुख्य शब्दों से मिलकर बना है 1. प्रारंभिक बाल्यावस्था 2. देखभाल 3. शिक्षा ☆ प्रारंभिक देखभाल में जन्म से 6 वर्ष तक की ...
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